माता-पिता अपने बच्चे को कैसे क्रिएटिव बनाएं

एक राष्ट्र निर्माण में शासकों का योगदान होता है , बच्चों के सृजनात्मक (क्रिएटिव ) बनाने में उनके माता - पिता गुरु एवं समाज की अहम भूमिका होती है ।
         
जब बच्चे जन्म लेते हैं, तभी से सीखना प्रारंभ कर देते हैं,धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं। वह अनेकों ऐसी क्रिया करते हैं, एक ही क्रिया को बार-बार करके सीखते हैं , उसी समय से बच्चों में सृजनशीलता झलकने लगता है। माता पिता को अपने बच्चे पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है।

           वैसे तो प्रत्येक बच्चे में सृजनशील होने के गुण होते हैं। लेकिन सही पर्यावरण नहीं मिलने के कारण उनका विकास नहीं हो पाता है। अपने बच्चे को सृजनशील बनाने के लिए सही परिवेश का होना जरूरी होता है।
           
निम्न तरीकों से माता-पिता अपने बच्चे को क्रिएटिव बना सकते हैं।

1) अभिभावक अपने बच्चे पर ध्यान रखे -:  प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चे को अच्छा या क्रिएटिव बनाने का सपना देखते हैं । यह मनुष्यों का स्वभाव है परंतु माता-पिता अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं । जिससे बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते । कभी कभी समय निकालकर बच्चे के साथ रहना उनकी बातों को समझना। वह क्या करना चाहते है,  वह क्या कर रहा है। बच्चे पर पैनी नजर जरूर रखें ,लेकिन रोक-टोक न करें।अगर कोई गलत काम या गंदी आदतें देखें तब रोकना बहुत जरूरी है।

2)वस्तु / तस्वीर को दिखाना -: जब बच्चे 1 से 2 वर्ष के बीच में हो तो माता-पिता अपने बच्चे को सृजनशील  बनाने के लिए 10 से 12 वस्तुओं को एक टोकरी में रख दें । उसके पहले सभी वस्तुओं को दिखा कर नाम बता दें। उसके बाद एक एक कर वस्तुओं को मांग करें । जब बच्चे का उम्र 3 से 7 बर्ष का हो तो तस्वीर / वस्तुओं को दिखा कर उसे बोलने या लिखने के लिए कहें। बाजार में बहुत से सृजनशील विकसित करने वाले खिलौने भी आ गया है। जिससे बच्चे क्रिएटिव हो, उनका दिमाग विकसित होता है उससे एकाग्रता और सोचने  की क्षमता विकसित होता है।

3)खेल या योग अभ्यास -: माता-पिता अपने बच्चे को क्रिएटिव बनाने के लिए हमेशा प्रयत्न करते हैं "जिस प्रकार प्यासे को पानी की जितनी जरूरत होती है , उसी प्रकार creative  बनाने के लिए  योगाभ्यास जरूरी होता है।" 
         स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।         बच्चे के खेलकूद पर भी ध्यान देना जरूरी होता है , क्योकि उससे बच्चों में स्वयं निर्णय लेने की अनुभव प्राप्त होता हैं। जिससे शरीर मजबूत होता है।

4) स्वतंत्रता -: बच्चे को स्वतंत्र छोड़ने का तात्पर्य है कि बच्चे स्वयं करके या क्रिया करके सीखा गया ज्ञान से ही क्रिएटिव बनते हैं। यह ज्ञान अधिक समय तक उसके साथ रहता है ।बच्चे को प्रकृति से भी बहुत कुछ सीखना चाहिए।

5) निरंतर अभ्यास -: बच्चे को प्रतिदिन पढ़ाई-लिखाई करना जरूरी है। प्रतिदिन अभ्यास करके ही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं । माता-पिता को यह ध्यान देना चाहिए , कि जो विद्यालय में गृहकार्य मिलता है तो अभिभावक  अपने सामने गृह कार्य पूरा कराने का प्रयास करें। प्रतिदिन निरंतर अभ्यास करना अति आवश्यक है। इसे बच्चे सृजनशील बनते हैं।

6) मनोवैज्ञानिक ढंग -: बच्चे की शिक्षा पूर्णतः बाल  मनोविज्ञान पर आधारित है । बच्चों की शिक्षा में मनोवैज्ञानिक प्रवृति के कारण बच्चे स्वयं क्रिया को करके महत्व देते हैं ।बालक हमेशा से सक्रिय रहते हैं । बाल शिक्षा में बच्चे को खेल के माध्यम से सिखाया जाता है जिसे बच्चे क्रिएटिव रहते हैं।

7) सामाजिक परिवेश -: अपने बच्चे को किताबी ज्ञान पर बल के साथ-साथ बाहरी सामाजिक परिवेश का भी ज्ञान जरूरी होता है। यूं तो बच्चे अपने माता-पिता के  प्रतिबिंब के समान होते हैं जैसे माता-पिता कार्य करते हैं, उसी प्रकार बच्चे अपने जीवन को बनाने लगते हैं । समाज में भी हमें बहुत सी बाते सीखते हैं।

8) अच्छी आदतों को विकसित करना -: बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने के लिए अच्छे-अच्छे पुस्तकें , पत्र-पत्रिकाएं , बाल - हंस, नंदन आदि । बच्चे को किसी पुस्तक की एक पैराग्राफ पढ़ने के बाद उसे अपने ढंग से लिखने का प्रयास करने चाहिए । पुस्तकालय के महत्व को भी जानकारी देना चाहिए ,उसमें नई नई पुस्तकें पढ़  सकें। शांत वातावरण में स्वयं अध्ययन करने की आदतों का विकसित होगा।

9) हौसलों को बढ़ाना -: माता-पिता या गुरू को यह चाहिए कि बच्चे को हमेशा हौसला बढ़ाएं । बच्चे को प्रेरक प्रेरक प्रसंग प्रेरणादायक कहानी सुनाने नहीं चाहिए । बच्चे की 

सफल होने के तीन मंत्र है।
       क) उम्मीद 
        ख)इच्छा 
        ग)आस्था

10) माता- पिता अपने  बच्चों में यह गुण  देखना चाहते हैं।
        👉बच्चे स्मरणीय हो ।
        👉उसमें सही निर्णय लेने की क्षमता हो ।
        👉वह भावुक और उदार प्रवृत्ति के हो ।
        👉वह आज्ञाकारी और उद्देश्य पूर्ण हो ।
        👉 उनका विचार भावनात्मक प्रेम, ईमानदारी, सच्चाई                 सफलता और कर्म पर विश्वास करते हों।
www.webhindiduniya.blogspot.com
www.webhindiduniya.blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कैसे करे।

विकसित देश के लिए शिक्षा का महत्व