परीक्षा का भय एवं निदान
परीक्षा का अर्थ "दूसरों की इच्छा " उसे कहते हैं, परीक्षा । अर्थात् जब कोई व्यक्ति या संस्था परीक्षा लेता है , तब एक दूसरे व्यक्ति के द्वारा प्रश्न पत्र तैयार होता है। अधिकांश बच्चे, बड़े या अच्छे जानकार व्यक्ति परीक्षा के नाम से भागते हैं । परीक्षा के समय बच्चों में तनाव अधिक हो जाता है। बच्चें एक वर्ष की कठिन परिश्रम करते हैं। और मात्र दो घंटे के परीक्षा में उसका मूल्यांकन किया जाता है। कुछ बच्चे को मूल्यांकन का भय अधिक होता है। वे दिन-रात परिश्रम करते हैं । कुछ बच्चे अधिक तनाव महसूस करते हैं। परीक्षा के समय में तनाव में नहीं रहना चाहिए । तनाव के कारण मस्तिष्क से स्मरण शक्ति कम होने लगता है । आप जो भी पढ़ते हैं, वे भूल जाएंगे । "परीक्षा से तुम डरो ना भाई ,अपने पढ़ाई में ध्यान लगाई।" एक कहावत है जो डर गया सो मर गया यानी परीक्षा का भय नहीं होना चाहिए । कुछ बच्चों के माता-पिता का दबाव अधिक रहता है। जिस कारण सेे बच्चों में तनाव उत्पन हो जाते हैं। परीक्षा संबंधी डर को निम्न तरीकों से जानेंगे। ➡️आत्म - विश्वास की कमी -: कुछ बच्चेे पढ़ाई में मेहनत बहुत करते